Wednesday, February 15, 2017

असर देखो दुआओं

न मुँह देखो दवाओं का
असर देखो दुआओं का
कई कंधे हैं बाजू में
भरोसा है तो पावों का
बगल में मुस्कराते दोस्त
हरते दर्द घावों का
पता चलता इसी दौराँ
सभी रिश्तों के भावों का
सभी फिक्रों पे है भारी
सुखन आँचल के छावों का
- ओमप्रकाश तिवारी
( 15 फरवरी, 2016)

हम खड़े हो जाएंगे


तुम गिराओ, फिर गिराओ, हम खड़े हो जाएंगे।
शौक से काटो मियाँ हम फिर बड़े हो जाएंगे ।।

चिन्गियां लाओ हवा दो डाल कर घी रात भर,
किंतु हम मिश्री की डलियाँ बिन लड़े हो जाएंगे।

हम रुई हैं जब तलक तुम हो बताशे की तरह,
तुम हुए अखरोट तो हम भी कड़े हो जाएंगे ।

सोचते हैं वो जिन्हें हो फिक्र तनिक जमीर की,
आपका क्या, आप तो चिकने घड़े हो जाएंगे।

कर सकें तो कीजिए कुछ आप दुनिया के लिए,
वरना औरों की तरह मुर्दे गड़े हो जाएंगे ।

- ओमप्रकाश तिवारी
14 फरवरी, 2016
( मित्रो, बीमारी के बाद की यह पहली रचना आज सुबह ही बन पड़ी)