हाल ही में मौत ने करवा दिया अहसास है,
पास में ही हूँ खड़ी मैं तू भले पच्चास है।
एक दर्जन ब्लॉक नस में और बीपी नभ चढ़ा,
रक्तकण के बीच देवी शर्करा का वास है।
आइसीयू की मशीनें औ दवाओं की महक,
श्वेतवसना मधुरभाषी नर्स ही बस पास है।
चुक गई आधी सदी औ हाथ में कुछ भी नहीं,
भीड़ में भी रिक्तता का हो रहा आभास है।
सोचता हूँ कुछ मगर होता यहाँ कुछ और है,
सच कहूँ इंसान केवल परिस्थिति का दास है।
- ओमप्रकाश तिवारी
सुबह 10.55
17 जनवरी, 2016 (रविवार)
आईसीयू - 1, बेड नं. 07,
हीरानंदानी अस्पताल, मुंबई।
पास में ही हूँ खड़ी मैं तू भले पच्चास है।
एक दर्जन ब्लॉक नस में और बीपी नभ चढ़ा,
रक्तकण के बीच देवी शर्करा का वास है।
आइसीयू की मशीनें औ दवाओं की महक,
श्वेतवसना मधुरभाषी नर्स ही बस पास है।
चुक गई आधी सदी औ हाथ में कुछ भी नहीं,
भीड़ में भी रिक्तता का हो रहा आभास है।
सोचता हूँ कुछ मगर होता यहाँ कुछ और है,
सच कहूँ इंसान केवल परिस्थिति का दास है।
- ओमप्रकाश तिवारी
सुबह 10.55
17 जनवरी, 2016 (रविवार)
आईसीयू - 1, बेड नं. 07,
हीरानंदानी अस्पताल, मुंबई।