Thursday, January 10, 2013

तुम बहाओ खून

रात के एक बज रहे हैं। मेंढर में शहीद हुए दोनों जवानों के रोते परिवारों ने आँखों से नींद उड़ा दी है। अपनी भावनाएं व्यक्त करने के सिवा मैं और क्या कर सकता हूं भला ? आप भी हमारी भावनाओं के सहयात्री बनें - 

तुम बहाओ खून हम आँसू बहाएंगे जवां
दोस्ती का हाथ दुश्मन से मिलाएंगे जवां

रो रहे माता पिता विधवा तो रोने दो उन्हें
चार दिन की बात है फिर भूल जाएंगे जवां

हैं जरूरी क्रिकेट के रिश्ते भी सरहद पार से
हम विकेट के रूप में गिन-गिन गंवाएंगे जवां

कारगिल मेंढर सियाचिन में जमो तुम बर्फ में
पॉलिसी हम रूम हीटर में बनाएंगे जवां

वाकई तेरी शहादत भी बड़ी अनमोल है
इस बहाने हम कफन भी बेच खाएंगे जवां

(१० जनवरी, २०१३) 


No comments: