Sunday, August 25, 2013

कटवा कर नाखून

कटवा कर नाखून शहीदों में लिखवाने नाम चले,
मरने की जब बात चली तो करके मियाँ सलाम चले ।

बड़ी फिक्र है राजा जी को अपने मुल्क रिआया की,
खूब बहे आँसू घड़ियाली फिर घर जाकर जाम चले ।

जिनकी शान बढ़ाने ख़ातिर अपनी जान लड़ा बैठे,
गले लगाने के बजाय वो दे करके ईनाम चले ।

हमने उम्र बिता दी मंजिल तक सबको पहुँचाने में,
मेरी मैयत छोड़ सभी जन अपने-अपने काम चले ।

एक तरफ से संबंधों की ताली रहे बजाते हम,
उनकी बारी आई तो वह देकर पूर्ण विराम चले ।

(20 अगस्त, 2013) 

1 comment:

Anonymous said...

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