ॐ
....
किससे - किससे आप लड़ेंगे, चुप रहिए,
लड़कर कितना आप बढ़ेंगे, चुप रहिए।
अपनी नजरों में हर शख्स सही ही है,
किससे कितना आप अड़ेंगे, चुप रहिए।
चाह रहा हर व्यक्ति पढ़ाना पाठ नए,
आखिर कितना और पढ़ेंगे, चुप रहिए।
जितनी बहस करोगे तुम्हें डराएगा,
उससे कितना और डरेंगे, चुप रहिए।
दशा देश की देख दुखी क्यों होते हैं,
किया जिन्होंने वही भरेंगे, चुप रहिए।
- ओमप्रकाश तिवारी
17 जून, 2025
No comments:
Post a Comment