रोशनी नीलाम होगी ।
बोलियाँ फर्जी लगाकर,
कौड़ियों के दाम होगी ।
आपकी मेहनतकशी अब,
अर्थ बिन नाकाम होगी ।
नेकिनियती भी हमारी,
बेवजह बदनाम होगी ।
ख़ुदकुशी ज़िंदादिलों की,
सोचकर अंजाम होगी ।
ख़ुदकुशी ज़िंदादिलों की,
सोचकर अंजाम होगी ।
( 6 नवंबर, 2012)
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