सरकती यूँ ही न रात जाए
न रात जाए न साथ जाए
जुबाँ पे तेरी मचल रही है
न रह अधूरी वो बात जाए
चमकती आँखों की रोशनी पर
फ़िदा हो बारावफ़ात जाए
क्युँ फ़िक्र करते हैं दुनिया भर की
न इश्क करने से जात जाए
है रिस्क का खेल ये मोहब्बत
फ़तह मिले या बिसात जाए
(26 दिसंबर, 2012)
Wednesday, December 26, 2012
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