Saturday, October 20, 2007

ग़ज़ल-१

दो चीज़ गर मिलें तो ग़ज़लें लिखूं हजार,
थोड़ी सी रोशनाई थोड़ा तुम्हारा प्यार ।

1 comment:

हरिमोहन सिंह said...

वाह वाह जी थोडी सी रोशनाई थोडा सा प्‍यार