दो और दो चार नहीं दो और दो पांच ,
झूठ के समंदर में डूब गया सांच ।
गिद्धों ने गौरैया का लूटा देश ,
बैठी है कौवों कि हंसों पर जांच ।
सौदागर पत्थर के देखो तो आज,
जड़वा कर बैठे हैं महलों में कांच ।
अमन-चैन कायम है कहते कुछ लोग,
सड़कों पर जारी है फौजों का मार्च ।
श्मशानों में बजता शाही मृदंग ,
दंग शहर देख रहा नंगों का नाच ।
1 comment:
वाह कविता में दम है
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