Monday, January 7, 2008

किसे कत्ल करके चले आ रहे हैं !

खयालों में किसको छुए जा रहे हैं ,
पसीने-पसीने हुए जा रहे हैं ।

सरेशाम किस पर गिरानी है बिजली ,
जो लट आज चेहरे पे लहरा रहे हैं ।

छिपाये नही छिप रही बेकरारी ,
इधर जा रहे हैं उधर जा रहे हैं ।

है बालों पे शबनम नज़र में खुमारी ,
किसे कत्ल करके चले आ रहे हैं ।

लरज़ता हुआ ये बदन काफिये सा ,
तरन्नुम में जैसे ग़ज़ल गा रहे हैं ।

3 comments:

Anonymous said...

Om ji badia gazal hai.
Arvind Solanki

Ashish Maharishi said...

khhobsurat rachna

इष्ट देव सांकृत्यायन said...

यार इ त भौजाई के साथै बड़ी नाइंसाफी ह. केकरे खातिर लिखले हव्वा?