Sunday, October 17, 2010

मुंह ना खोलो

चिस्ती साहब मुंह ना खोलो,
मुंह खोलो तो सच ना बोलो ।

किसको प्यारा भाईचारा,
राजनीति की गिरह न खोलो ।

तोल रहे हैं सब जन जिनकी,
तोल सको तो तुम भी तोलो ।

गिर जाते हैं अकड़ू पौधे,
चलो हवा के संग-संग डोलो ।

डायबिटिक होती है शक्कर,
नीम करेले का रस घोलो ।

आप पिटे तो चुप हैं सारे,
बोलो भाई कुछ तो बोलो ।
- ओमप्रकाश तिवारी

1 comment:

Rajendra Swarnkar : राजेन्द्र स्वर्णकार said...

.

आहाऽऽ… ! यहां तो ग़ज़लगो साहब का ठिकाना है…
पहली बार पहुंचा हूं … अच्छा लगा !

कई रचनाएं पढ़ीं आपकी ,
ख़ुशी हुई …

# समय मिले तो हमारे यहां भी पधारिएगा …


होली के रंग अभी छूटे नहीं हैं :)
स्वीकार करें मंगलकामनाएं आगामी होली तक के लिए …
**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥
~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~
****************************************************
♥होली ऐसी खेलिए, प्रेम पाए विस्तार !♥
♥मरुथल मन में बह उठे… मृदु शीतल जल-धार !!♥


आपको सपरिवार
होली की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं !
- राजेन्द्र स्वर्णकार
****************************************************
~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~
**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥