Wednesday, February 6, 2008

चांद पे जाने वाले

हमको हर बात में नादान बताने वाले ,
हैं जमींदोज़ कभी चांद पे जाने वाले ।

बिना आवाज की लाठी पे भरोसा रखिए,
टूट जाएंगे सितम आप पे ढाने वाले ।

नहीं कर सकते हमारी व तुम्हारी बातें,
बात दर बात में अपनी ही सुनाने वाले ।

लूट लेना बड़ा आसान है औरों का जहां ,
जहां में मिलते ज़रा कम हैं बसाने वाले ।

ख़ाक लेकर हैं खड़े हाथ में अपने घर की ,
आशियां रात में औरों का जलाने वाले ।

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