न कोई डर है यहां न कोई जुर्माना है ,
जम्हूरियत में हिंद घूमता मस्ताना है ।
हम भी नंगे हैं यहां आप भी दिखते नंगे,
ये सियासत भी शानदार गुसलखाना है ।
लोग हंसते हैं बात सुनके साफगोई की,
नया है दौर और फलसफ़ा पुराना है ।
किस कदर खा रहे जनाब यहां न पूछो,
भूल जाते हैं एक दिन यहां से जाना है ।
कितनी कम उम्र में किसने कमा लिया कितना,
अक्लमंदी का यही एक ही पैमाना है ।
Wednesday, February 6, 2008
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