लोग यूं तो खुदा से डरते हैं
जाने क्यूं फिर गुनाह करते हैं
ख्वाब में कौन सी दुनिया लेकर
सबकी दुनिया तबाह करते हैं
जिसने ये कायनात बख़्शी है
क्या ये उससे सलाह करते हैं
कद्रदां कौन से फ़न के हैं ये
आह पर वाह-वाह करते हैं
इनकी दहशत में अश्क पी-पीकर
आप और हम निबाह करते हैं
Sunday, April 27, 2008
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1 comment:
बहुत खूब तिवारी जी। बहुत गहरे उतर गए हैं। अच्छी रचना के लिए बधाई स्वीकार करें।
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